इंदौर।   शहर के पूर्वी क्षेत्र के वैभवनगर (कनाडिया) में स्थित निरालाधाम कई वजह से निराला है।यहां 200 फीट उंचे स्तंभ पर स्थित 51 फीट के हनुमानजी की मूर्ति भक्तों के बीच आस्था का केंद्र है। मूर्ति के कांधे पर राम और लक्षमण बैठे हुए है। बताया जाता है कि यह मुद्रा तब कि है जब अहिरावण राम-लक्षमण को पाताल ले गया था और केसरीनंदन उन्हें सुरक्षित अपने कांधे पर बैठाकर लाए थे।भगवान के इस विशेष स्वरूप के दर्शन के लिए भक्त न प्रसाद लाने की आवश्यकता है न चढ़ावे की। बस हनुमान दर्शन के लिए 108 बार जय श्रीराम लिखना होता है। अन्य मंदिरों की तरह यहां भी 7 पदाधिकारी और 11 सदस्यी कार्यकारिणी समिति है लेकिन इसमें कोई मनुष्य नहीं है।हर जिम्मेदारी किसी न किसी देवी-देवता के पास है। अध्यक्ष की जिम्मेदारी अंजनी पुत्र हनुमान और संरक्षक की भूमिका कौशल्यानंदन भगवान श्रीराम को दी गई हैं। इस तरह 11 हजार वर्गफीट में बने निरालाधा में ईश्वरीय सत्ता चलती है। अन्य पदाधिकारियों में सचिव भोलेनाथ, कोषाध्यक्ष कुबेर, सुरक्षा अधिकारी यमराज, लेखा-जोखा अधिकारी चित्रगुप्त, वास्तुविद् भगवान विश्वकर्मा है।अन्य मंदिर की तरह पदाधिकारी और कार्यकारिणी सदस्यों की सूची भी दीवार पर चस्पा की गई है जिस पर देवी-देवताओं के नाम लिखे हैं। मंदिर का निर्माण 1990 में वैभवनगर में शुरू हुआ था।

रामायण का प्रत्येक पात्र पूजनीय

संचालक प्रकाशचंद बागरेचा कहते है कि हनुमान के इस निरालेधाम का हर काम हनुमान की कृपा से हो रहा है।मंदिर के हर कोने में राम नाम लिखा है।चौबीस घंटे हनुमान चालीसा का पाठ चलता रहता है।यहां न कोई आयोजन होता है और न ही प्रतिष्ठा महोत्सव मनाया जाता है। मंदिर में रावण, कुभकर्ण, मेघनाथ, विभीषण, कैकयी, मंथरा,शुर्पणखा की मूर्तियां है। सबकी पूजा होती है।रामायण का प्रत्येक पात्र पूजनीय है।