इंदौर    '25 साल पहले बेटे का जन्म हुआ तो परिवार में खुशियां छा गईं। लेकिन यह खुशी सिर्फ एक दिन ही रह पाई। दूसरे दिन पता चला कि बेटे को ग्लूकोमा की बीमारी है। वह देख नहीं सकता। बेटे का लगातार इलाज कराया, 8 ऑपरेशन हुए। 8 साल की उम्र में आंखों पर प्रेशर बढ़ा और फिर वो कभी नहीं देख पाया। उस दिन हमारे ऊपर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा था। वो 25 साल पहले जैसी खुशी आज फिर महसूस हो रही है, क्योंकि मेरा बेटा इंजीनियर बन गया है, अब वह दुनिया की दिग्गज आईटी कंपनी के साथ काम करेगा।' यह कहना है इंदौर में रहने वाले यश सोनकिया के पिता यशपाल सोनकिया का। SGSITS के कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग विभाग के स्टूडेंट यश सोनकिया को माइक्रोसॉफ्ट कंपनी ने 50 लाख रुपए का पैकेज ऑफर किया है। एयरपोर्ट रोड पर रहने वाले यश 100 प्रतिशत दिव्यांग हैं। वे प्रदेश के पहले दिव्यांग इंजीनियर स्टूडेंट हैं, जिन्हें माइक्रोसॉफ्ट ने जॉब ऑफर की है। यश ने साल 2021 में 7.2 सीजीपीए से कंप्यूटर साइंस की डिग्री हासिल की थी।

वो खूबी जिसे देख माइक्रोसॉफ्ट की लीडरशिप ने ऑफर दिया...

यश ने बताया कि वह SGSITS से 2021 में पासआउट हो चुके हैं। यह उनकी पहली जॉइनिंग है। यश स्क्रीन रीडर सॉफ्टवेयर की मदद से की-बोर्ड के जरिए पूरे कंप्यूटर को ऑपरेट करते हैं। जिससे वह आसानी से कोडिंग भी कर लेते हैं। वैसे तो कोडिंग स्पीड मापने का कोई पैमाना नहीं होता, लेकिन माइक्रोसॉफ्ट की लीडरशिप ने यह देखकर चौंक गई कि यश दिव्यांग होने के बावजूद सामान्य लोगों की तरह ही आसानी से और बिल्कुल सटीक कोडिंग कर लेते हैं। इसके बारे में जब यश से सवाल किए गए, तो उन्होंने बताया कि वे स्क्रीन रीडिंग सॉफ्टवेयर की मदद से ऐसा कर पाते हैं। इसके बाद कंपनी ने उनके सलेक्शन पर मुहर लगा दी।

चार इंटरव्यू के बाद हुआ सिलेक्शन

यश सोनकिया ने बताया कि उनका प्लेसमेंट माइक्रोसॉफ्ट बेंगलुरु कैंपस के लिए हुआ है। प्लेसमेंट की प्रकिया अप्रैल माह में शुरू हुई थी। अप्रैल-मई माह में ऑफलाइन इंटरव्यू के तीन राउंड हुए। इसके बाद फाइनल राउंड ऑनलाइन हुआ। इंटरव्यू पूरी तरह से कोडिंग बेस्ड था। मेरा सिलेक्शन ओपन कैंपस प्लेसमेंट के तहत हुआ है। कंपनी ने अभी वर्क फॉर होम ही करने की बात कही है।

बचपन में ही सोच लिया था इंजीनियर बनना है

यश ने बताया कि शुरूआत में तो मैं नॉर्मल स्कूल में था, लेकिन जब आंखों की रोशनी पूरी तरह से चली गई तो पापा ने दिव्यांग स्कूल में भर्ती कराया। मैंने तब ही सोच लिया था कि मुझे बड़े होकर सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनना है। मुझे बचपन से ही टेक्नोलॉजी में दिलचस्पी रही है। इसमें दुनिया भर के लाखों लोगों के जीवन को बदलने और प्रभावित करने की क्षमता है।

जॉब का सपना देखा था वह पूरा हुआ

यश ने बताया कि इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान ही कंपनियों की लिस्ट तैयार कर ली थी, जिसमें उन्हें जॉब करना थी। माइक्रोसॉफ्ट कंपनी भी उस लिस्ट में शामिल थी। दोस्तों ने हर कदम पर उनकी बहुत मदद की। दोस्तों की मदद और यू-ट्यूब के जरिए ही यहां तक पहुंच पाए हैं।

पिता की नाश्ते की दुकान

यश के पिता की जिला कोर्ट के पास नाश्ते की दुकान है। मां हाउसवाइफ है। घर में यश के अलावा उनका एक छोटा भाई और बहन भी है। मां योगिता सोनकिया ने बताया कि बेटे का सपना था कि वह एक बड़ी कंपनी में जॉब करे, आज उसका यह सपना भी पूरा हो गया है। हमें बेटे पर गर्व है।

50 लाख का पैकेज पाने वाले पहले स्टूडेंट

SGSITS के डायरेक्टर आरके सक्सेना ने बताया कि यश सोनकिया कॉलेज के पहले ऐसे स्टूडेंट है जिन्हें 50 लाख रुपए का पैकेज ऑफर किया गया है। यश से पहले एक स्टूडेंट का 44 लाख रुपए के पैकेज पर प्लेसमेंट हो चुका है। वहीं पिछले 5 सालों में कंपनियां 44 लाख रुपए का अधिकतम और 14.50 लाख रुपए औसत का पैकेज कॉलेज के स्टूडेंट को ऑफर कर चुकी हैं। यश प्रदेश का पहला ऐसा दिव्यांग इंजीनियर स्टूडेंट है, जिसको माइक्रोसॉफ्ट ने 50 लाख रुपए का पैकेज ऑफर किया है।

IIT-IIM का औसत पैकेज 25 लाख तक

IIT इंदौर में 2020-21 में औसत पैकेज 25 लाख रुपए था। वहीं IIM इंदौर में 23.6 लाख रुपए औसत पैकेज मिला था।
इंदौर के 22 प्रतिशत स्टूडेंट माइक्रोसॉफ्ट, 19 प्रतिशत अमेजन, 11 प्रतिशत आईबीएम, 7 प्रतिशत गूगल, 15 प्रतिशत टीसीएस, इंफोबिंस, इम्पेटस, 16 प्रतिशत इंटेल, राकुटेन, ओरेकल, एटलाजियन और 10 प्रतिशत अन्य कंपनियों में काम कर रहे हैं।
SGSITS में पिछले 5 साल में कंपनियां 44 लाख रुपए का अधिकतम और 14.50 लाख रुपए औसत का पैकेज स्टूडेंट को ऑफर कर चुकी हैं।