अगर आप रंगों में होने वाले केमिकल्स के डर से होली नहीं खलते हैं तो अब आप अपने इस डर को खत्म कर सकते हैं। क्योंकि कभी नक्सलियों का गढ़ कहे जाने वाले बस्तर इलाके के दंतेवाड़ा की महिलाओं ने खास तरह का गुलाल बनाया है। गाय के गोबर से बना यह गुलाल पूरी तरह से केमिकल फ्री है। कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों के सहयोग से महिलाएं यह गुलाल तैयार कर रही हैं। 

रायपुर में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय किसान मेले में इस गुलाल को औपचारिक रूप से लॉन्च किया गया था। इस गुलाल को 'गोमय हर्बल गुलाल' का नाम दिया गया था। आपको बता दें कि आमतौर पर गुलाल बनाने के लिए फूलों और सब्जियों का इस्तेमाल किया जाता है। यह गोमय हर्बल गुलाल छत्तीसगढ़ के कई जिलों में उपलब्ध होगा। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, मंत्रियों और सरकारी अधिकारियों के घरों पर ये पैकेट भेजे जाएंगे। बघेल सरकार पहले से ही गोधन न्याय योजना योजना पर काम कर रही है। गाय के गोबर का उपयोग करके तैयार की जाने वाली वस्तुओं में खाद, वर्मीकम्पोस्ट और लैंप जैसी चीजें शामिल हैं।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गोमय हर्बल गुलाल बनाने वाले वैज्ञानिकों और स्वयं सहायता समूहों के प्रयासों की सराहना की है। अधिकारियों ने कहा कि गोमय हर्बल गुलाल को प्रोसेस्ड गोबर, प्रोसेस्ड वर्मीकम्पोस्ट और प्राकृतिक रंगों से मिलाकर बनाया गया है। इसमें औषधीय, एंटी-रेडिएशन और एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं। सुगंधित गुलाल त्वचा पर आसानी से लग जाता है। यह एक कम लागत वाला बिजनेस है और महिलाओं के लिए कमाने का अच्छा रास्ता है। उन्होंने बताया कि गुलाल की मार्केटिंग के लिए सेल्फ हेल्प ग्रुप्स इसे इको-फ्रेंडली गुलाल के तौर पर प्रचारित कर रहे हैं।