पानी के भीतर रेत उत्खनन को रोका जाएगा सख्ती से
भोपाल । प्रदेश में वर्तमान में संचालित छोटी रेत खदानों के आस-पास उपलब्ध रेत का भी अब वैध तरीक़े से खनन हो सकेगा। इसके लिए 15 सितंबर तक नदी के किनारों पर 250 हेक्टेयर तक के बड़े क्षेत्रों में नए सिरे से खदान घोषित किया जाएंगे। वहीं पानी के भीतर किसी भी प्रकार के उत्खनन को सख्ती से रोका जाएगा। इतना ही नहीं, उपयुक्त स्थानों पर जांच चौकियों की स्थापना एवं मानसून के दौरान निर्माण कार्यों को जारी रखने के लिए रेत भंडारण की पर्याप्त व्यवस्था की जाएगी। खनिज साधन विभाग द्वारा अवैध उत्खनन एवं भंडारण की रोकथाम के लिए जियो स्पेशल भू-स्थानिक तकनीक का उपयोग कर खनन निगरानी प्रणाली विकसित की जा रही है। इस प्रणाली के अंतर्गत प्रदेश की समस्त खदानों को जियो टेग कर सेटेलाइट इमेज एवं रिमोट सेंसिंग टेक्नोलाजी की सहायता से प्रदेश में हो रहे अवैध उत्खनन एवं भंडारण पर निगरानी रखी जाएगी। यह प्रणाली खदान क्षेत्र के बाहर हो रहे अवैध उत्खनन का पता लगाने में सक्षम होगी। रविवार को खनिज साधन विभाग के प्रमुख सचिव निकुंज श्रीवास्तव ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से कमिश्नर/ कलेक्टरों की बैठक ली और इस संबंध में दिशा-निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि उन सभी क्षेत्रों को, जहां रेत खनिज उपलब्ध है, लेकिन अब तक खदान के रूप में घोषित नहीं किया गया है, 15 जुलाई 2024 तक खदान घोषित किया जाए। प्रमुख सचिव श्रीवास्तव द्वारा स्पष्ट किया गया कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अवैध उत्खनन / परिवहन पर नियंत्रण के निर्देश दिए हैं।आवश्यकता पड़ने पर खदान या उसके बाहर ड्रोन सर्वे कर वास्तविक उत्खनित मात्रा का पता लगाकर दोषियों पर कार्रवाई कर अर्थदंड अधिरोपित किया जाएगा। यह प्रणाली मध्य प्रदेश स्टेट इलेक्ट्रानिक्स डेवलपमेंट कारपोरेशन लिमिटेड द्वारा विकसित की जा रही है और सितंबर 2024 तक संपूर्ण प्रदेश में प्रभावी रूप से लागू कर दी जाएगी। बैठक में खनिज साधन विभाग के 24 मई 2024 के परिपत्र के अनुसार, कलेक्टरों को अवैध उत्खनन एवं परिवहन पर प्रभावी रोकथाम के निर्देश एवं मार्गदर्शन भी दिया गया। खनन निगरानी प्रणाली के अंतर्गत एक निश्चित समय अंतराल पर सतत रूप से प्राप्त सेटेलाइज इमेज का विश्लेषण कर सिस्टम द्वारा राज्य एवं जिला प्रशासन को अलर्ट भेजे जाएंगे, जिसका क्षेत्रीय अमले द्वारा मोबाइल एप के माध्यम से परीक्षण/निरीक्षण कर रिपोर्ट पोर्टल/मोबाइल एप पर दर्ज कर प्रकरण पंजीबद्ध किया जाएगा।