नई दिल्ली । मोदी सरकार के पिछले 9 साल के कार्यकाल में रेलवे में काफी बदलाव हुए हैं। कई सारी नई ट्रेन चली है, जिसमें से एक मोदी सरकार का सबसे पसंदीदा प्रोजेक्ट वंदे भारत का हैं। लेकिन रिपोर्ट के अनुसार देखा गया है कि वंदे भारत से ज्यादा लोग सफर नहीं कर रहे हैं। इसके पीछे के आखिर क्या कारण हैं। इस पर रेलवे की समीक्षा की गई हैं। सूत्रों के हवाले से बताया कि भारतीय रेलवे कम यात्रियों वाली कुछ कम दूरी की वंदे भारत ट्रेनों के किराए की समीक्षा कर रहा है, ताकि कीमतें कम की जा सकें और उन्हें लोगों के लिए अधिक व्यवहार्य बनाया जा सके।
रिपोर्ट के अनुसार इंदौर-भोपाल, भोपाल-जबलपुर और नागपुर-बिलासपुर एक्सप्रेस जैसी वंदे भारत ट्रेनों के साथ-साथ कुछ अन्य ट्रेनों के भी इस श्रेणी में आने की संभावना है। जहां भोपाल-जबलपुर वंदे भारत सेवा में 29 प्रतिशत ऑक्यूपेंसी दर्ज की गई, वहीं इंदौर-भोपाल वंदे भारत एक्सप्रेस में केवल 21 प्रतिशत ऑक्यूपेंसी रही। यात्रा की लागत एसी चेयर कार टिकट के लिए 950 रुपये और एक्जीक्यूटिव चेयर कार टिकट के लिए 1,525 रुपये है। रिपोर्ट में कहा गया है कि रेलवे की समीक्षा के बाद इस वंदे भारत सेवा का किराया काफी कम किया जा सकता है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि अधिक लोग ट्रेन सेवा का उपयोग करें।
एक अन्य ट्रेन जिसके किराये की समीक्षा हो रही हैं, वह नागपुर-बिलासपुर वंदे भारत एक्सप्रेस, जिसकी औसत ऑक्यूपेंसी लगभग 55 प्रतिशत है। लगभग 5 घंटे 30 मिनट की यात्रा के समय के साथ, आम धारणा यह है कि यदि कीमतें कम कर दी गईं तब यह बहुत बेहतर होगा। नागपुर-बिलासपुर वंदे भारत एक्सप्रेस से एक्जीक्यूटिव क्लास का किराया 2,045 रुपये है, जबकि चेयर कार का किराया 1,075 रुपये है। कम व्यस्तता के कारण मई में इस ट्रेन को तेजस एक्सप्रेस से बदल दिया गया था। 
अब तक 46 वंदे भारत एक्सप्रेस सेवाएं देश के सभी रेल-विद्युतीकृत राज्यों तक पहुंच चुकी हैं। टॉप ऑक्यूपेंसी वाली वंदे भारत ट्रेनों में कासरगोड से त्रिवेन्द्रम ट्रेन (183 प्रतिशत), त्रिवेन्द्रम से कासरगोड वंदे भारत ट्रेन (176 प्रतिशत), गांधीनगर-मुंबई सेंट्रल वंदे भारत एक्सप्रेस (134 प्रतिशत) शामिल हैं। मतलब साफ हैं कि कुछ को छोड़कर ज्यादातर सेमी-हाई स्पीड ट्रेनें पूरी क्षमता के साथ चलती हैं।