आम बजट से है बहुत उम्मीदें
भोपाल । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार कल अपना बजट पेश करने जा रही है जिससे आम जनता को बहुत उम्मीद है। देखा जाए तो मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का ये आखिरी पूर्ण बजट है। सीए भी चाहते हैं कि आयकर का दायरा बढ़ाया जाना चाहिए। साथ में होम लोन पर टैक्स की छूट का आंकड़ा भी बढऩा चाहिए।
एक फरवरी को देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट पेश करने वाली हैं जिस पर पूरे देश की निगाह है। माना जा रहा है कि ये बजट लोक-लुभावना होगा क्योंकि सरकार का आखिरी पूर्ण बजट होगा। इस संबंध में चर्चा में सीए हरीश मेहता के मुताबिक उम्मीद की जा सकती है कि बजट प्रस्तावों में सुधार और वृद्धि पर ध्यान केंद्रित किया जा सकता है तो व्यक्तिगत कर सुधार मध्यम वर्ग के करदाताओं की बजट इच्छा सूची में सबसे ऊपर होना चाहिए। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कई उपाय किए जा सकते हैं।
यह कठिन रास्ता होगा क्योंकि सरकार को मध्यम वर्ग के व्यक्तियों के हाथों में डिस्पोजेबल आय बढ़ाने व राजकोषीय खजाना बनाए रखने के लिए कर राहत उपाय प्रदान करने के बीच नाजुक संतुलन बनाए रखना होगा। वित्त मंत्री व्यक्तिगत करदाता की छूट की सीमा बढ़ाकर मध्यम वर्ग को राहत दे सकती हैं और निवेश को प्रोत्साहित कर सकती हैं।
व्यक्तिगत करदाताओं के लिए आयकर छूट सीमा 2.5 लाख रुपए प्रति वर्ष है जो वित्त वर्ष 2014-15 से चली आ रही है। इसको बढ़ाकर 5 लाख रुपए किया जाना चाहिए। वेतनभोगियों के लिए मानक कटौती को मौजूदा 50 हजार रुपए से बढ़ाकर कम से कम एक लाख रुपए करना चाहिए। इस तरह की वृद्धि से 50 लाख रुपए तक की कर योग्य आय वाले करदाताओं के लिए 16 हजार रुपए प्रति वर्ष तक की कर बचत में मदद मिलेगी।
होम लोन में भी दें छूट
वर्तमान में घर के मालिक आयकर अधिनियम की धारा 24 के तहत होम लोन पर भुगतान पर छूट दी गई है। ब्याज दरों पर दो लाख रुपए तक की कर कटौती का दावा कर सकते हैं। घर मालिकों को राहत प्रदान करने के लिए इस सीमा को बढ़ाया जाना चाहिए। सरकार ऐसा करती है तो देश में एक बड़ा मध्यमवर्गीय तबका है जिसे सीधे फायदा पहुंचेगा।
इनमें भी होना चाहिए सुधार
हरीश मेहता के मुताबिक विभिन्न सामान्य कर बचत निवेशों/व्यय (जैसे कर्मचारी ईपीएफ योगदान पीपीएफ आवास ऋण का मूल पुनर्भुगतान बच्चों की ट्यूशन फीस राष्ट्रीय बचत प्रमाण पत्र आदि) के लिए धारा 80 सी के तहत कटौती के संबंध में डेढ़ लाख रुपए की सीमा लगभग आधे दशक से स्थिर बनी हुई है। भारतीय परिवार में बचत पिछले कुछ वर्षों में कम हो रही है इसलिए व्यक्तियों को पात्र निवेश में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए सीमा को बढ़ाया जाना चाहिए (3 लाख रुपए तक) जिसके फल स्वरूप 47 हजार रुपए प्रति वर्ष (50 लाख तक की आय वाले करदाताओं के लिए) की बचत हो सकती है।