इंदौर ।   इस शहर के लिए डोसा नया नाम नहीं है लेकिन पापड़ की तरह डोसे का कुरकुरा अंदाज, उसके साथ घी की महक, विशेष तरह के मसाले का स्वाद अौर दो तरह की चटनी व सांभर का साथ जरूर नई बात है। यह संभार भी कुछ अलग स्वाद वाला जिसमें तीन तरह की दाल का स्वाद तो है पर नजर नहीं आती, नारियल की चटनी की तरह बनने वाली चटनी तो है पर उसमें नारियल का अंश मात्र नहीं और डोसे में मसाला भी डलता है लेकिन मजाल है कि उसका कुरकुरापन खत्म हो जाए। स्वाद के इस अंदाज से वे तो भली भांति वाकिफ होंगे जिन्होंने आंध्र प्रदेश में वहां के ठेठ देसी जायके का मजा लिया हो। इंदौर में आंध्र प्रदेश के जायके का आनंद घी कारम डोसा, मैसुर बोंडा, सांभर, मूंगफली की चटनी और नारियल की चटनी के साथ लिया जा सकता है। नौकरी के सिलसिले में आंध्र प्रदेश से इंदौर आए राघव ने घर के खाने की कमी को समझते हुए नया काम शुरू किया और पाकशाला द आंध्रा किचन के जरिए आंध्र प्रदेश के व्यंजनों को परोसना शुरू किया। इसमें इनका साथ इनकी पत्नी मालती ने दिया औऱ स्कीम नंबर 78 में प्रेसिटज कालेज के सामने वाली गली में रेस्टोरेंट की शुरुआत की।

घी कारम डोसा कुछ खास

यूं तो यह कई तरह के व्यंजन बनाते हैं लेकिन घी कारम डोसा कुछ खास है। तवे पर देसी घी लगाकर उसपर डोसे का बेटर डाला जाता है। उसके बाद उसपर प्याज, टमाटर, लाल मिर्च, नमक का पेस्ट लगाया जाता है। इस पर दोबारा देसी घी ही डालते हैं और फिर उड़द दाल, चना दाल, तुअर दाल, सिके चने, नारियल आदि का पाउडर डाला जाता है जिसे दो तरह की चटनी और सांभर के साथ परोसा जाता है। आंध्र प्रदेश के रायलसीम क्षेत्र के इस डोसे को कोरा खाया जाए तब भी वह लजीज ही लगता है।

कुरकुरे व्यंजन इंदौर में ज्यादा पसंद किए जाते हैं

राघव बताते हैं कि इंदौर में कुरकुरे व्यंजन ज्यादा पसंद किए जाते हैं इसलिए इसे अपेक्षाकृत ज्यादा कुरकुरा बनाया गया है। आलू बड़े की तरह नजर आता है पर है उससे अलग मालती बताती हैं कि इस व्यंजन के बनने की शुरुआत मैसूर से हुई इसलिए इसका नाम मैसूर बोंडा रखा गया। मैदे में दही, खाने का सोड़ा, अदरक, करी पत्ता, हरी मिर्च और नमक डालकर इसमें खमीर उठाया जाता है और फिर उसके गोले बनाकर तला जाता है। इसे भी दोनों तरह की चटनी और सांभर के साथ परोसा जाता है। चटनी और सांभर को इस तरह बनाया जाता है कि वे मैसूर बोंडे के साथ पकड़ बना सकें। इसलिए सांभर में दालें पीसकर डाली जाती है और सब्जियों को तीन बार उबाल कर सांभर में मिलाया जाता है। इससे सांभर में गाढ़ापन आ जाता है।

सांभर के मसाले में जीरा, धनिया, काली मिर्च, गुंटुर मिर्च, सोंठ, लाल मिर्च आदि मसाले पीसकर मिलाए जाते हैं जिससे उसकी रंगत और स्वाद बढ़कर आता है। दक्षिण के अन्य भाग से आंध्र प्रदेश में बनने वाले सांभर की पहचान यह है कि इसमें इमली और गुड़ दोनों का उपयोग होता है। सबि्जयों में भी कद्दू अौर सुरजने की फली का उपयोग अपेक्षाकृत अधिक होता है। खास बात तो यह कि डोसा और मैसुर बोंडा दोनों ही केले के पत्ते पर रखकर परोसा जाता है जिससे उसकी अधिकांश चिकनाई केले के पत्ते पर ही रह जाती है।