घरेलू शेयर बाजार में फिर बिकवाली हावी हो गई है। हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन सेंसेक्स 150 अंक लुढ़का जबकि निफ्टी फिसलकर 17900 के नीचे पहुंच गया है।शुरूआती कारोबार में IT सेक्टर के शेयरों में कमजोरी दिख रही है। इससे पहले वैश्विक बाजार भी कमजोरी के साथ बंद हुए। अमेरिकी बाजार में ब्याज दरों में बढ़ोतरी और महंगाई के बढ़ते आकड़ों के कारण निवेशक चिंता में दिखे। अदाणी इंटरप्राइजेज के शेयरों में एक बार फिर गिरावट दिख रही है।शुरुआती कारोबार में रुपया 12 पैसे की गिरावट के साथ 82.63 रुपये के लेवल पर कारोबार कर रहा है।अमेरिकी मंदी की आशंका और सूचकांक प्रदाता एमएससीआई की ओर से अदाणी समूह की चार कंपनियों के भारांक में कटौती करने की घोषणा के बाद घरेलू शेयर बाजार में मंदी की धारणा दिखी।

शुक्रवार को भारतीय बाजार में गिरावट का बड़ा कारण वैश्विक बाजार का कमजोर प्रदर्शन भी रहा।अमेरिकी बाजार के 13 में से 11 सेक्टोरल इंडेक्स गिरावट के साथ बंद हुए। अमेरिका में वृद्धि दर की चिंताओं के बीच आईटी और मेटल सेक्टर के शेयरों में 0.8% प्रतिशत तक की गिरावट दिखी।फेडरल रिजर्व के अधिकारियों की की ओर से महंगाई पर टिप्पणी के बाद वॉल स्ट्रीट इक्विटीज कमजोरी के साथ बंद हुए। फेड के अधिकारियों ने कहा है कि महंगाई दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था को अपनी चपेट में लिए हुए है।रिचमंड फेड के अध्यक्ष थॉमस बार्किन ने कहा कि मुद्रास्फीति वास्तव में कम नहीं हो रही थी और अब तक देखी गई गिरावट को कुछ गिरती वस्तुओं की कीमतों के कारण है, जिसका अर्थ है कि अमेरिकी केंद्रीय बैंक लंबे समय तक उच्च ब्याज दरों को बनाए रख सकता है।एशियाई बाजारों में भी मंदी के संकेत हैं, जिसमें जापान के बाहर एशिया-प्रशांत शेयरों का एमएससीआई का व्यापक सूचकांक 19.1% फिसल गया है।

वित्तीय सूचकांक प्रदाता एमएससीआई की ओर से अदाणी समूह की चार कंपनियों के भारांक में कटौती करने की घोषणा के बाद घरेलू शेयर बाजारों में चिंता बढ़ गई है। विश्लेषकों ने चेतावनी दी है कि इस कदम से और बिकवाली हो सकती है और शेयरों के भाव और फिसल सकते हैं।अदाणी समूह के अधिकांश शेयरों में शुक्रवार के सत्र में गिरावट जारी रही। दूसरी ओर जेफरीज की ओर से अपने प्रमुख पोर्टफोलियो में कंपनी पर निवेश बढ़ाने के बाद बजाज फाइनेंस के शेयरों में 12% की तेजी आई।निवेशकों को सोमवार को आने वाले जनवरी के खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़ों का भी इंतजार रहेगा। अर्थशास्त्रियों के एक पोल से पता चला है कि भारत की वार्षिक खुदरा मुद्रास्फीति दिसंबर में 6 महीने में सबसे कम बढ़ी। जनवरी में यह आरबीआई के सहिष्णुता बैंड की ऊपरी सीमा छह प्रतिशत के भीतर रही।