तानाशाही रवैये के खिलाफ स्टालिन की आवाज़, केंद्र पर जमकर बरसे

ऊटी। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने केंद्र सरकार पर लगातार तानाशाही रवैया अपनाने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि राज्यपाल मामले में राष्ट्रपति की ओर से मांगे गए स्पष्टीकरण मुद्दे पर अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों और नेताओं से चर्चा की जाएगी। सीएम स्टालिन ने कहा कि उनके विचारों और सुझावों के आधार पर इस मामले में उचित कार्रवाई तय की जाएगी। मुख्यमंत्री फिलहाल नीलगिरी जिले के ऊटी में पांच दिवसीय दौरे पर हैं। शुक्रवार सुबह सैर के दौरान उन्होंने पत्रकारों से बातचीत की।
राज्यपाल आरएन रवि मामले पर स्टालिन ने कहा कि केंद्र सरकार का रवैया लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र राज्यों की स्वायत्तता को कमजोर करने की कोशिश कर रहा है। राष्ट्रपति द्वारा इस मामले में केंद्र से स्पष्टीकरण मांगने के फैसले को स्टालिन ने महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा, “हम कोई भी कदम उठाने से पहले अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों और विपक्षी नेताओं से सलाह लेंगे। यह मुद्दा केवल तमिलनाडु तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सभी राज्यों के लिए चिंता का विषय है।”
इस पूरे मामले की जड़ में तमिलनाडु के राज्यपाल और सरकार के बीच का विवाद है। दरअसल, राज्यपाल ने कुछ बिल रोक दिए थे। मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट ने 8 अप्रैल को अहम फैसला सुनाया। शीर्ष अदालत ने कहा कि राज्यपाल विधानसभा से पास हुए बिल को अनिश्चितकाल तक रोका नहीं जा सकता। कोर्ट ने साफ किया कि संविधान के अनुच्छेद 200 के तहत राज्यपाल को वीटो (अस्वीकृति) देने का अधिकार नहीं है। अदालत ने यह भी कहा कि विधेयकों पर राष्ट्रपति और राज्यपालों को निर्णय लेने के लिए समयसीमा तय की जानी चाहिए।
इसको लेकर ही राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने एक खत लिख सुप्रीम कोर्ट से 14 सवाल पूछे। ये राष्ट्रपति और राज्यपाल की संवैधानिक शक्तियों से जुड़े हैं। सवाल संविधान के अनुच्छेद 200, 201, 361, 143, 142, 145(3) और 131 से जुड़े हैं। वहीं, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम द्वारा इंडिया गठबंधन के कमजोर होने की टिप्पणी पर स्टालिन ने स्पष्ट किया कि यह उनकी निजी राय है। इंडिया गठबंधन मजबूत है और आगामी चुनावों में बेहतर प्रदर्शन करेगा।