भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने नियमित बैंक बनाने के लिए शुक्रवार को छोटे वित्त बैंकों से आवेदन मांगे हैं। यह आवेदन सिर्फ उन बैंकों से मंगवाए गए हैं, जिन्होंने 1000 करोड़ रुपये के न्यूनतम शुद्ध संपत्ति (नेटवर्थ) होने समेत निर्दिष्ट मानदंडों को पूरा कर लिया है। बता दें, आरबीआई ने नवबंर 2014 में निजी क्षेत्र के लघु वित्त बैंकों (एसएफबी) को लाइसेंस देने से संबंधित दिशा निर्देश जारी किए थे। वर्तमान में करीब एक दर्ज लघु वित्त बैंक हैं, जिसमें एयू स्मॉल फाइनेंस बैंक, उज्जीवन स्मॉल फाइनेंस बैंक और इक्विटास स्मॉल फाइनेंस बैंक सहित अन्य शामिल हैं।आरबीआई ने कहा कि नियमित बैंक बनाने का लक्ष्य रखने वाले लघु वित्त बैंक की पिछली तिमाही के अंत में शुद्ध संपत्ति कम से कम एक हजार करोड़ रुपये होनी चाहिए। इसी के साथ बैंक के शेयर किसी मान्यता प्राप्त शेयर बाजार में सूचीबद्ध होना चाहिए।इसके अलावा, बीते दो वर्षों में लघु वित्त बैंक का शुद्ध लाभ होना चाहिए। पिछले दो वित्त वर्षों में लघु वित्त बैंक का जीएनपीए तीन प्रतिशत तो एनएनपीए एक प्रतिशत से कम या फिर उसके बराबर होना चाहिए।  

कुछ माह पहले, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक कार्यक्रम में एनबीएफसी और एसएफबी को आगाह करते हुए कहा आपको अपनी सीमा रेखा का सम्मान करना चाहिए। उन्होंने कहा, उत्साह अच्छा है, लेकिन कभी-कभी लोगों के लिए इसे पचाना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। इसलिए, सावधानी के तौर पर आरबीआई ने लघु वित्त बैंकों, एनबीएफसी को सचेत किया है कि वे इस बात को लेकर सावधान रहें और इतनी तेजी से आगे न बढ़ें कि बाद में उन्हें किसी नकारात्मक पहलू का सामना करना पड़े। असुरक्षित कर्ज में तेजी को देखते हुए आरबीआई ने 16 नवंबर को ऐसे ऋण के लिए नियमों को सख्त बना दिया था। इसके तहत केंद्रीय बैंक ने बैंकों और एनबीएफ के लिए जोखिम भारांश 25 फीसदी बढ़ा दिया था। इस पर विश्लेषकों का कहना है कि इससे बैंकों की पूंजी लगत बढ़ जाएगी और पर्सनल लोन जैसे कर्ज महंगे हो जाएंगे।