मप्र हाई कोर्ट ने रेत खनन नीति के खिलाफ फैसला सुनाया
भोपाल। मप्र हाई कोर्ट ने मध्य प्रदेश के रेत का खनन करने वाले ठेकेदारों को राहत दी है। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस सुरेश कुमार कैत ने मध्य प्रदेश सरकार रेत खनन नीति के खिलाफ फैसला सुनाया है। कोर्ट के फैसले से अब इन ठेकेदारों को नीलामी के दौरान लगाई बोली का पूरा पैसा सरकार को नहीं देना होगा। अब सरकार रेत की केवल उतनी ही रॉयल्टी ले सकेगी जितनी रेट खदान से उठाई गई है। हालांकि, फिलहाल इसका फायदा सिर्फ नर्मदापुरम के ठेकेदारों को मिला है क्योंकि इन्होंने ही कोर्ट में याचिका लगाई थी।
सरकार करती है रेत के खदानों की नीलामी
दरअसल, मध्य प्रदेश की खनन नीति के अनुसार सरकार रेत की खदानों की नीलामी करती है। इस नीलामी में सरकार ठेकेदार को एक निश्चित मात्रा में रेट उठाने की इजाजत देती है इसके लिए रॉयल्टी की कीमत भी तय हो जाती है। इस नीति के अनुसार रेत खनन करने वाले ठेकेदार को बोली में लगाई कीमत हर हाल में सरकार को देनी होती है। यह पैसा पहले हर 3 महीने में देना होता था बाद में इस नियम को बदलकर हर माह कर दिया गया। इस नियम के अनुसार यदि रेत खनन करने वाला ठेकेदार रेत की उतनी मात्रा नहीं उठा पाता जितने की उसने बोली लगाई थी, तो भी ठेकेदार को सरकार को पैसा देना पड़ता है। नर्मदापुरम जिले के एक रेत ठेकेदार ने 118 खदानों के लिए बोली लगाई थी और उसे लगभग 80 लाख घन मीटर खनन करने की अनुमति मिली थी। ठेकेदारों को 110 करोड़ रुपये सरकार को देने थे, लेकिन ठेकेदारों ने सरकार को यह पैसा नहीं दिया। इसलिए माइनिंग डिपार्टमेंट ने ठेकेदारों से पैसा वसूलने के लिए नोटिस भेजा। तब ठेकेदारों ने बताया कि उनकी कई खदानों को पर्यावरणीय स्वीकृति नहीं मिली है इसलिए वे खनन ही नहीं कर पाए।
माइनिंग डिपार्टमेंट के नोटिस को किया खारिज
चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत ने अपने फैसले में माइनिंग डिपार्टमेंट के नोटिस को खारिज कर दिया और माइनिंग डिपार्टमेंट से कहा गया है कि ठेकेदारों ने जितनी रेत उठाई है केवल उसकी ही रॉयल्टी ली जाए। ठेकेदार बोली की पूरी रकम देने के लिए मजबूर नहीं है। इस फैसले के आने के बाद प्रदेश भर के रेत खनन करने वाले ठेकेदार इस फैसले को नजीर मानते हुए अपने लिए भी राहत पाने की उम्मीद लगा रहे हैं। यदि ऐसा हो जाता है तो ठेकेदारों को केवल उतना ही पैसा देना होगा जितनी रेत खदान से उठाई गई। इससे सरकार को तो नुकसान होगा लेकिन ठेकेदार और आम जनता को सस्ती रेत और बालू मिल सकेगी। क्योंकि अभी ठेकेदार सरकार को जो पैसा देता है उसकी वजह से रेत के दाम बहुत अधिक बढ़ जाते हैं। रेत सस्ती हुई तो घर बनाना भी सस्ता हो जाएगा।