भोपाल । मध्य प्रदेश के राजस्व विभाग की उप सचिव नेहा मारव्या के पास नौ महीने से कोई काम नहीं है। माना जा रहा है कि 2011 बैच की आईएएस अधिकारी नेहा मारव्या के साथ आजीविका मिशन की एक शिकायत की जांच की रिपोर्ट तैयार करने के बाद यह सलूक किया जा रहा है। जांच में मारव्या ने एक अधिकारी को दोषी पाया था। इसी रिपोर्ट को आईएएस अधिकारी के लिए नुकसानदायक बताया जा रहा है।
पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अंतर्गत आने वाले मप्र राज्य रोजगार गारंटी परिषद की एडिशन सीईओ रहीं नेहा मारव्या चार माह से एक शिकायत की जांच कर रही थीं। यह शिकायत तत्कालीन सहायक जिला प्रबंधक जिला पंचायत रायसेन के भूपेंद्र प्रजापति ने की थी। उन्होंने विधानसभा की लोकलेखा समिति एवं अपर मुख्य सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग को शिकायत की थी। इसमें विभाग के मुख्य कार्यपालन अधिकारी ललित मोहन बेलवाल पर एक महिला सुषमा रानी शुक्ला की फर्जी नियुक्ति के आरोप लगाए थे।  बताया जा रहा है कि नेहा मारव्या की जांच में बेलवाल पर सुषमा रानी और उसके 6-7 परिचितों को फर्जी तरीके से नियुक्ति देने और मनमाने तरीके से वेतन बढ़ाने की बात सामने आई है। साथ ही मामले में अपराधिक मामला दर्ज करने की अनुशंसा कर दी। हालांकि ललित बेलवाल ने आरोपों को षड्यंत्र बताया था।

पीएस ने कहा था- गेट आउट

सूत्रों ने बताया था कि इस मामले में मारव्या पर दबाव बनाया गया, लेकिन उन्होंने वरिष्ठों की भी नहीं सुनी। इसके बाद उनका ट्रांसफर मध्य प्रदेश राज्य रोजगार गारंटी परिषद की एडिशनल सीईओ से उप सचिव राजस्व विभाग में कर दिया गया। जब मारव्या ज्वाइन करने प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी के पास पहुंची तो उनको गेट आउट कहकर कमरे से बाहर कर दिया था। कहा जा रहा है कि एक वरिष्ठ महिला आईएएस से भी मारव्या की कहासुनी हुई थी और उच्चाधिकारी ने उन्हें सबक सिखाने की धमकी दी थी। जानकारी के अनुसार ट्रांसफर के बाद नेहा मारव्या को एक छोटे कमरे में बैठाया गया है। जहां उनको प्यून भी नहीं दिया गया है।

कोई अपमान नहीं किया  

राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी ने कहा कि वह उप सचिव राजस्व हैं। जहां तक विवाद की बात है तो ना मैंने उनका कोई अपमान किया ना उन्होंने मेरा किया।

अब काम मिल रहा

इस मामले में बात करने पर नेहा मारव्या ने कहा कि उनको अब काम मिल रहा है। इसके अलावा अन्य सवालों के जवाब देने से उन्होंने मना कर दिया।