मप्र में विकास के लिए मोहन सरकार की नीति


भोपाल। लोकसभा चुनाव की आचार संहिता हटते ही मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और उनकी सरकार नीति बनाकर  विकास में जुट गई है। सरकार का सबसे अधिक फोकस औद्योगिकीकरण और रोजगार पर है। इसके लिए सरकार ने प्रदेश में औद्योगिक विकास पर अपना ध्यान केंद्रित किया है। इसी के तहत 7 जून को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने गेल (इंडिया) लिमिटेड द्वारा सीहोर जिले के आष्टा तहसील में लगाई जाने वाली देश की सबसे बड़ी एथेन क्रैकर प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी है।  इस प्रोजेक्ट के माध्यम से निर्माण अवधि के दौरान 15,000 व्यक्तियों और संचालन अवधि के दौरान लगभग 5,600 व्यक्तियों को रोजगार मिलेगा।
गौरतलब है कि प्रदेश में औद्योगीकरण को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके लिए नई इंडस्ट्री लगाने वालों के लिए कई तरह की सहूलियतें दी जा रही हैं। प्रदेश सरकार ने हरित ऊर्जा के क्षेत्र में अच्छा काम किया है। इसके अलावा माइनिंग, सीमेंट और वस्त्र उद्योग को बढ़ावा दिया जा रहा है। मप्र में भाजपा सरकार ने कृषि विकास दर 25 प्रतिशत तक पहुंचा दिया है। अब दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए अमूल के साथ मिलकर काम करने की योजना है। औद्योगिक विकास हो सके और हर युवा को रोजगार मिल। इसके तहत प्रदेश में सूचना प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के लिए चार नए आइटी पार्क शुरू किए जा रहे हैं। प्रदेश में औद्योगिक विकास के लिए सरकार ने 2007 से अक्टूबर 2016 तक इन्वेस्टर्स समिट पर 50.84 करोड़ खर्च किए। 366 उद्योगों को 1224 करोड़ अनुदान दिया।

 

नहीं रूकेंगी फाइलें, बढ़ेगा निवेश


राज्य में अब उद्योगों को रफ्तार मिलेगी। निवेशकों को आकर्षित करने के लिए सरकार ने लाल कालीन बिछाई है। उद्योगपतियों को असुविधा न हो, इसलिए सिस्टम में तब्दीली की है। प्रस्तावों से लेकर उद्योगों को एनओसी देने तक की प्रक्रिया तेज होगी। उद्योग लगाने वाले उद्योगपतियों को ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ेगा। राज्य सरकार ने मेगा इंडस्ट्रियल परियोजना के लिए एनओसी की जिम्मेदारी मुख्य सचिव सहित संबंधित विभागों के आला अफसरों को सौंपी है। मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली समिति में जल-संसाधन, वन, ऊर्जा विभाग के एसीएस, पीडब्ल्यूडी, राजस्व, खनिज साधन, योजना आर्थिक एवं सांख्यिकी, श्रम विभाग के प्रमुख सचिव, तकनीकी शिक्षा एवं कौशल विकास के सचिव, ग्रामीण सडक विकास प्राधिकरण के सीईओ समिति के सदस्य होंगे। जबकि औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन विभाग के प्रमुख सचिव समिति के सदस्य सचिव होंगे। साथ ही अन्य विभागों के प्रमुख सचिव या सचिव विशेष आमंत्रित सदस्य रहेंगे। समिति की महीने में एक बार अनिवार्य रूप से बैठक होगी। इससे अब प्रस्ताव लंबे समय तक फाइलों में कैद नहीं रह सकेंगे। लंबित मामलों में भी कमी आएगी। तय समय में अनुमतियों के मामले में फैसले होंगे। अफसरों का दावा है कि प्रक्रिया की रफ्तार बढ़ेगी तो उद्योग भी तेजी से जमीन पर उत्तरेंगे और रोजगार के मौके बढ़ेंगे। प्रदेश का राजकोष भी बढ़ेगा।

 

मप्र में लगातार बढ़ रहा निवेश और रोजगार


सरकार की नीतियों का असर है कि प्रदेश में लगातार निवेश बढ़ रहा है। 10 साल में 30 लाख 13 हजार 41.607 करोड़ रुपए के 13,388 निवेश प्रस्ताव आए। इनमें 3.47 लाख करोड़ रुपए के 762 पूंजी निवेश हुए हैं। इससे 2.07 लाख लोगों को रोजगार मिला। गौरतलब है कि देश में अधिक से अधिक निवेश के लिए सरकार प्रयास करती रही है। यही कारण है कि पिछले पांच साल में छोटे और मंझोले उद्योगों की संख्या बढ़ी। 2018 से 2023 तक 13.72 लाख एमएसएमई रजिस्टर्ड हुए। इन उद्योगों ने राज्य में 67.64 लाख लोगों को रोजगार उपलब्ध कराए हैं। इन्वेस्टर्स समिट भी इसी का हिस्सा है। उद्योग स्थापित करने के लिए सरकार ने सिंगल विंडो सिस्टम भी लागू किया। यानी, एक ही जगह उद्योगों के लिए सभी अनुमतियां देने की व्यवस्था बनाई, पर सरकारी ढर्रा नहीं बदला। निवेशकों, उद्योगपतियों की शिकायतें आती रहीं। इसे देखते हुए सरकार ने नई व्यवस्था की है। दावा है कि समय सीमा के तय होने और नई व्यवस्था से हालात सुधरेंगे। अन्य राज्यों की तुलना में प्रदेश के प्रति निवेशकों का रूझान बढ़ा है। इसका कारण यह भी है कि मध्यप्रदेश देश के बीच में है। कानून व्यवस्था में अन्य राज्यों से बेहतर है। छोटे और मझोले उद्योगों की संख्या में यहां इजाफा हुआ है। अभी राज्य में 3.54 लाख से अधिक छोटे और मझोले उद्योग हैं। वहीं सरकारी प्रयासों से साल दी साल रोजगार भी बढ़ रहा है। वर्ष 2018-19 में 2.97 लाख एमएसएमई रजिस्टर्ड हुए और उनमें 10.30 लाख लोगों को रोजगार मिला। 2019-20 में 2.88 लाख एमएसएमई रजिस्टर्ड हुए 9.94 लाख को रोजगार मिला। वहीं 2020-21 में 1.87 लाख एमएसएमई रजिस्टर्ड हुएएमएसएमई रजिस्टर्ड हुए 14.99 लाख को रोजगार मिला। 2021-22 में 2.46 लाख एमएसएमई रजिस्टर्ड हुएएमएसएमई रजिस्टर्ड हुए 14.08 लाख को रोजगार मिला। 2022-23 में 3.54 लाख एमएसएमई रजिस्टर्ड हुए एमएसएमई रजिस्टर्ड हुए 18.33 लाख को रोजगार मिला।

 

अब हर क्षेत्र में औद्योगिक विकास


प्रदेश में अभी स्थिति यह है कि औद्योगिक विकास कुछ क्षेत्रों तक ही सीमित है। लेकिन अब मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने जो रणनीति बनाई है, उसके तहत अब हर क्षेत्र में औद्योगिक विकास किया जाएगा। इसके लिए उन्होंने जिला स्तर पर इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन भी शुरू कर दिया है।  उद्योग को प्रोत्साहित करना मप्र सरकार का घोषित उद्देश्य है और इसके कुछ आशाजनक परिणाम भी मिले हैं। उद्योग विशेषज्ञ इस क्षेत्र में हुए लाभ को स्वीकार करते हैं लेकिन कहते हैं कि सरकार ने राज्य की क्षमता को अनुकूलित करने के लिए पर्याप्त तत्परता के साथ काम नहीं किया है, साथ ही वे इन रुझानों को कृषि पर प्रशासन के निरंतर ध्यान के रूप में वर्णित करते हैं। उद्योगपतियों ने बताया कि सरकारी नीतियों से राज्य के उद्योग जगत में कोई बड़ा बदलाव नहीं आया है। हालांकि, सरकार इससे इनकार करती है। राज्य उद्योग विभाग के अधिकारियों का कहना है कि उसने व्यवसाय के हित में लाइसेंसिंग से लेकर भूमि अधिग्रहण तक नीतिगत ढांचे को आसान बनाने की कोशिश की है। विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, लाइसेंस प्रणाली से लेकर उद्योगपतियों के लिए जमीन की उपलब्धता तक, हमने पूरी प्रक्रिया को आसान बनाया है। सरकार समझती है कि कृषि राज्य सकल घरेलू उत्पाद में एक बड़ा हिस्सा प्रदान करती है लेकिन उद्योग रोजगार की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। एक अन्य अधिकारी ने कहा, व्यापार उद्यमों को परेशानी मुक्त बनाने वाली उद्योग-अनुकूल नीति पहल के बाद पिछले दो दशकों में राज्य में औद्योगिक परिदृश्य में बड़ा बदलाव आया है।