जीएसटी पंजीयन से पहले होगा बिजली बिल का सत्यापन
पायलट प्रोजेक्ट: बिजली कंपनी और जीएसटी का डाटा किया जा रहा लिंक
महाराष्ट्र और मप्र में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर बिजली के बिल रजिस्ट्रेशन देने से पहले जांचे जाएंगे
भोपाल । जीएसटी के फर्जी रजिस्ट्रेशन और बोगस बिलों को जारी होने से रोकने में बिजली कंपनी का डाटा मददगार बनेगा। कुछ यही सोच के साथ मप्र में स्टेट जीएसटी (राज्य कर) पायलट प्रोजेक्ट शुरू करने जा रहा है। कारोबारी-व्यवसायी को राज्य जीएसटी पंजीयन तब ही जारी करेगा जबकि उनके बिजली बिल का सत्यापन आनलाइन हो सकेगा। इसके लिए बकायदा विद्युत वितरण कंपनी के आनलाइन डाटा को जीएसटी के साथ लिंक किया जा रहा है। बिजली बिल की अनिवार्यता के लिए नया आदेश भी जारी कर दिया गया है।
13 मई को अधिसूचना जारी कर स्टेट जीएसटी ने जीएसटी रजिस्ट्रेशन के आनलाइन फार्म आरईजी-वन के सरल क्रमांक 24 में उल्लेखित दस्तावेजों की सूची में संशोधन का आदेश जारी किया है। नए निर्देश के तहत अब ऐसी सभी फर्में जिनका क्षेत्र (ज्यूरिडिक्शन) स्टेट जीएसटी के अधीन आता है, उन्हें अपने ताजा बिजली बिल की प्रति भी जीएसटी रजिस्ट्रेशन के साथ लगानी होगी। यह बिल वर्क प्लेस यानी फर्म के पते का ही होना चाहिए। जीएसटी विभाग के अधिकारियों के अनुसार जीएसटी काउंसिल में बीते समय हुए निर्णय के आधार पर यह बदलाव किया गया है।
दरअसल महाराष्ट्र और मप्र में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर बिजली के बिल रजिस्ट्रेशन देने से पहले जांचे जाएंगे। विभागीय अधिकारियों के अनुसार मप्र और महाराष्ट्र में विद्युत वितरण कंपनियां बिजली के बिल आनलाइन जारी कर रही हैं। ऐसे में बिजली बिल के डाटा का आनलाइन सत्यापन फिलहाल इन ही प्रदेशों में संभव है। इसके लिए बाकायदा बिजली कंपनी के डाटा को स्टेट जीएसटी के पोर्टल से लिंक किया जा रहा है ताकि रजिस्ट्रेशन देने वाला अधिकारी बिल का सत्यापन कर यह जांच सके कि पता सही है। रजिस्ट्रेशन मांग रहा व्यक्ति ही उस पर व्यापार करना चाह रहा है। एक जून से नई व्यवस्था लागू करने के आदेश दे दिए गए हैं।
बोगस रजिस्ट्रेशन रोकने की कोशिश
बीते वर्षों में जीएसटी लागू होने के बाद तमाम ऐसे मामले सामने आए हैं जबकि दूसरों के पते पर रजिस्ट्रेशन हासिल कर कई लोगों ने फर्जी फर्में खड़ी कीं और बोगस बिलों से टैक्स की चोरी की व इनपुट टैक्स क्रेडिट का घोटाला भी किया। इसके लिए आवेदन के साथ बिजली बिलों की प्रति या पते के अन्य दस्तावेजों में हेरफेर कर लगा दिया गया। कर सलाहकार अनुराग लखोटिया के अनुसार रजिस्ट्रेशन के लिए होने वाले आवेदन में अभी फर्म और स्वामित्व की जानकारी मांगी जाती है। उसमें लीज, किराया, साझा और अन्य विकल्प है। इसमें दस्तावेजों के साथ नगर निगम या पालिका की टैक्स रसीद, किरायानामा, लीज डीड या बिजली बिल में से कोई एक अपलोड करने के लिए कहा जाता है। नगर पालिका और निगम का पोर्टल महीनों से बंद है, ऐसे में संपत्ति कर की रसीद का आनलाइन सत्यापन संभव नहीं हो सकता। बिजली बिल आनलाइन ही जारी हो रहे हैं, ऐसे में असल व्यक्ति के पते का सत्यापन अब आनलाइन बिजली बिलों के द्वारा संभव हो सकेगा। आनलाइन जांच में यदि पते पर जारी हो रहे बिजली बिल में दर्ज व्यक्ति और जीएसटी पंजीयन लेने वाले की पहचान में अंतर निकला तो अधिकारी संदेह के आधार पर बोगस रजिस्ट्रेशन नहीं होने देंगे। अभी पायलट प्रोजेक्ट है। यदि यह प्रयोग सफल रहा तो इसे फिर देशभर में लागू किया जा सकता है।