अंकारा । तुर्की के राष्ट्रपति रेचपे तैय्यप अर्दोआन देश में इस्लामिक मूल्यों को बढ़ावा देने की बात करते हैं। एर्दोआन की मुहिम के बीच, तुर्की में एक बस चालक के नमाज पढ़ने के लिए बस नहीं रोकने पर घमासान मचा हुआ है। एक बस चालक ने नमाज पढ़ने के लिए बस रोकने से इनकार कर दिया था जिसके बाद यात्री ने इसकी शिकायत की। शिकायत को लेकर कंपनी की ओर से दी गई सफाई से देश में धर्मनिरपेक्षता को लेकर बहस छिड़ गई है। कंपनी ने यात्री की शिकायत पर सफाई देकर कहा है कि कोई भी नागरिक तुर्की के संविधान में मिले अधिकारों का इस्तेमाल देश के लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों का उल्लंघन करने के लिए नहीं कर सकता है। कंपनी का बयान वायरल होते ही तुर्की में फिर से धर्मनिरपेक्षता को लेकर चर्चा तेज है। 
तुर्की एक मात्र ऐसा देश है, जो मुस्लिम बहुल होते हुए भी धर्मनिरपेक्ष है। लेकिन अर्दोआन के राष्ट्रपति बनने के बाद से ही वह तुर्की को इस्लामिक देश बनाने की राह पर है। अर्दोआन हमेशा इस्लाम और मु्स्लिमों के अधिकार को धर्मनिरपेक्षता के ऊपर रखते हैं। अर्दोआन के शासनकाल में ही साल 2020 में तुर्की में धर्मनिरपेक्षता की मिसाल रहे हागिया सोफिया म्यूजियम को मस्जिद में बदलने का फैसला लिया गया था। 
कंपनी ने कहा है कि बस ईरान की सीमा के पास वैन क्षेत्र से पश्चिमी तुर्की के एजियन तट की ओर जा रही थी। सफर को तय करने में 24 घंटे से अधिक समय लगाता हैं। हमें जानबूझकर निशाना बनाते हुए धर्मनिरपेक्षता के विवाद में घसीटा जा रहा है। हम सभी की भावनाओं और मान्यताओं का सम्मान करते हैं। 
कंपनी का कहना है कि इस्लाम हमें इतनी छूट देता है कि हम अपने हिसाब से नमाज पढ़ने के समय और उसकी अवधि में बदलाव कर सकें। कंपनी वकील ने सफाई देकर कहा है कि हमें एक प्रोपेगैंडा के तहत टारगेट किया जा रहा है कि हम लोगों को नमाज पढ़ने से रोक रहे थे। जबकि यात्री उस वक्त नमाज पढ़ सकता था जब बस एक सराय के पास रुकी थी। कंपनी का कहना है कि धर्मनिरपेक्ष का अर्थ यह नहीं है कि हम धार्मिक नहीं है। धर्मनिरपेक्षता में मुस्लिमों के अधिकारों की रक्षा भी आती है।