पेटलावद ।  क्षेत्र में अच्छी वर्षा और चहुंओर हरियाली लहलहाने के लिए नगर के सकल पंच यादव गवली समाज ने श्रावण का आभार माना। इस मौके पर समाजजन ने भुजरिया पर्व मनाते हुए एक चल समारोह निकाला। जिसमें नाच-गाकर सावन को विदाई दी गई। गौरतलब है कि हर त्योहार मनाने की गवली समाज की अपनी ही परंपरा है। चाहे वो गोवर्धन पूजा हो या देवउठनी ग्यारस। हर मौके पर अनूठापन दिखाई देता है। ऐसे ही गुरुवार को भी गवली समाज ने अपनी अनूठी परंपरा निभाई। इस बार अवसर था, सावन को विदाई देने वाले भुजरिया पर्व का। इस आयोजन में भक्तिमय गीतों पर भगवान श्रीकृष्ण की झांकी सजाकर नगर भ्रमण कराया गया, जो आकर्षण का केंद्र बनी। वहीं समाज के बड़ों-बुजुर्गों सहित युवाओं और महिलाओं में भुजरिया पर्व को लेकर काफी उत्साह देखा गया।

यह है भुजरिया पर्व

उल्लेखनीय है कि पंरपरानुसार सावन में खुशहाली की कामना को लेकर समाजजन घर में गेहूं या ज्वार बोए जाते हैं। इनके निकली कोपलों को ही भुजरिया कहा जाता है। सकल पंच गवली समाज भुजरिया पर्व को अपनी बहन-बेटियों के रूप में मनाते हैं। यह पर्व नागपंचमी से शुरू हो जाता है। जो रक्षाबंधन के दूसरे दिन पूर्ण होता है। यह पर्व भी आपसी भाईचारे व सद्भावना के रूप में नगर में मनाया जाता है। यह परंपरा भगवान श्रीकृष्ण काल से निरंतर चली आ रही है, जिसे आज भी समाजजन बड़े उत्साह के साथ मनाते आ रहे हैं।

यह है मान्यता

सकल पंच गवली समाज की मान्यता है कि सावन समाज और मवेशियों के लिए भरपूर सौगात देता है। इसलिए उसकी विदाई भी अच्छे से की जानी चाहिए। इसी के चलते गुरुवार को भी गवली समाज ने एक चल समारोह निकाला। जिसमें आगे-आगे समाज का पुरुष वर्ग ढोल ताशों की थाप पर नाच रहा था तो पीछे-पीछे एक ट्रैक्टर-ट्राली में भुजरिया जवारे के साथ महिलाएं चल रही थीं। इस दौरान महिलाएं मंगल गीत गा रही थीं। सावन से अगले वर्ष फिर से जोर-शोर से वर्षा की कामना भी कर रही थी। समाज के वरिष्ठजन ने बताया कि समाज की आजीविका गोपालन और खेती पर निर्भर रहती है। सावन में जब बादल बरसते हैं, तो खेत लहलहा उठते हैं। साथ ही गोवंश के दूध में वृद्घि होती है, जिससे समाज को आर्थिक लाभ पहुंचता है। साथ ही चारे के उत्पादन से पशुओं के लिए सालभर के आहार की चिंता भी मिट जाती है। इन्हीं सब बातों के लिए प्रकृति और सावन को धन्यवाद देते हुए भुजरिया पर्व मनाया जाता है।

जगह-जगह हुआ स्वागत

शोभायात्रा प्रमुख मार्गों से होकर गुजरी। जगह-जगह सामाजिक संगठनों ने स्वागत-सत्कार किया। पुराना बस स्टैंड पर नगर परिषद ने फूलों की वर्षा कर स्वागत किया। यहां समाजजन ने छड़ियों से डांडिया रास किया। वहीं महिलाओं और बालिकाओं ने भी यहां गरबा रास किया। शोभायात्रा में नगर के गवली समाज के वरिष्ठजन सहित युवावर्ग बड़ी संख्या में शामिल हुए। समाजजन ने पंपावती नदी के तट पर एकत्रित होकर इन जवारों को हाथ में लेकर विसर्जन किया। इसके बाद बड़े एवं वरिष्ठ समाजजन को प्रणाम कर आशीर्वाद लेते हुए साथ ही सालभर में जो कहासुनी हुई उसके लिए क्षमा याचना की और सभी समाजजन ने हंसी-खुशी से यह पर्व मनाया।