नई दिल्ली । चुनाव आयोग का कहना है कि अगर देश में वन नेशन-वन इलेक्शन के तहत लोकसभा-विधानसभाओं के एक साथ चुनाव कराए जाते हैं, तो आयोग को हर 15 साल में नई ईवीएम खरीदनी होंगी। यानी हर 15 साल में नई ईवीएम खरीदने के लिए अनुमानित 10 हजार करोड़ रुपए की जरूरत होगी। ऐसा इसलिए क्योंकि एक ईवीएम की शेल्फ लाइफ 15 साल ही होती है।
यह बात चुनाव आयोग ने सरकार को लिखे एक लेटर में कही हैं। आयोग ने कहा है कि यदि एक साथ चुनाव कराए जाते हैं तो मशीनों के एक सेट का इस्तेमाल तीन बार चुनाव कराने के लिए किया जा सकता है। एक अनुमान के मुताबिक 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए पूरे भारत में कुल 11.80 लाख पोलिंग बूथ बनाने होंगे। हर पोलिंग बूथ पर ईवीएम के दो सेट की जरूरत पड़ेगी- एक लोकसभा सीट के लिए और दूसरा विधानसभा क्षेत्र के लिए।
वोटिंग वाले दिन डिफेक्टिव मशीनों को रिप्लेस करने के लिए कंट्रोल यूनिट, बैलट यूनिट और वोटर वैरिफाइएबल पेपर ऑडिट ट्रेल मशीनों को रिजर्व रखना जरूरी होगा। फरवरी 2023 में एक सवाल के जवाब में चुनाव आयोग ने कहा था कि एक साथ चुनाव करवाने के लिए कम से कम 46 लाख 75 हजार 100 बैलट यूनिट, 33 लाख 63 हजार 300 कंट्रोल यूनिट और 36 लाख 62 हजार 600 वीवीपीएटी की जरूरत होगी। आयोग के मुताबिक 2023 की शुरुआत में एक ईवीएमकी टेंटेटिव कॉस्ट 7900 रुपए प्रति बैलट यूनिट, 9800 रुपए प्रति कंट्रोल यूनिट और 16000 रुपए प्रति वीवीपीएटी थी।