छत्तीसगढ़ का यह वही मतदान केंद्र हैं, जहां लगभग 15 वर्ष पूर्व सिर्फ दो ही मतदाता थे, तब यह केंद्र देश में सुर्खियों में रहा
रायपुर । छत्तीसगढ़ प्रदेश का प्रथम विधानसभा क्षेत्र क्रमांक-1 भरतपुर-सोनहत का आधा एरिया कोरिया और आधा मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले में है। यहां का एक मतदान केंद्र शेराडांड है, जहां सिर्फ पांच मतदाता हैं। इनमें तीन पुरुष और दो महिला हैं। यह वही मतदान केंद्र हैं, जहां लगभग 15 वर्ष पूर्व सिर्फ दो ही मतदाता पति और पत्नी थे, जिनके लिए पहली बार प्रशासन ने मतदान केंद्र बनाया था। तब यह केंद्र देश में सुर्खियों में रहा। अब परिवार का कुनबा बढ़ने के बाद इस परिवार में मतदाताओं की संख्या बढ़कर पांच हो गई है।
शेराडांड में एकमात्र यह परिवार जंगल के बीच निवास करता है। यहां कोई भी शासकीय भवन उपलब्ध नहीं है, जिसके कारण प्रशासन द्वारा चुनाव कार्य संपन्न कराने के लिए झोपड़ी तैयार की जाती है। यहां तक पहुंचने के लिए मतदान दलों को ट्रैक्टर से ले जाया जाता है। भरतपुर-सोनहत विधानसभा क्षेत्र के मतदान केंद्र क्रमांक-139 केंद्र कांटो में सिर्फ 12 मतदाता हैं। इनमें सात पुरुष औप पांच महिला हैं। यहां अभी तक सड़क नहीं है। जब से सेराडांड में मतदान केंद्र बना है, तब से 100 प्रतिशत मतदान विधानसभा और लोकसभा चुनाव में होता है।
मतदाताओं को चलना न पड़े, इसलिए गांव में ही मतदान केंद्र
निर्वाचन अधिकारियों के मुताबिक, प्रशासन ने ऐसे दुर्गम ग्रामीण क्षेत्र में मतदान केंद्र इसलिए बनाया ताकि वहां के मतदाताओं को अपने मताधिकार के लिए लंबी दूरी तय न करना पड़े। शेराडांड में इन पांच लोगों के मताधिकारी के लिए प्रशासन ने चार सदस्यीय मतदान दल गठित किया था।
जहां सबसे ज्यादा खतरा, वहां बना मतदान का रिकार्ड
नक्सल प्रभावित व दुर्गम पहाड़ी इलाकों में ऐसे भी मतदान केंद्र रहे जहां सबसे ज्यादा खतरा था, लेकिन इन्हीं मतदाताओं में जबरदस्त उत्साह दिखाया और रिकार्ड मतदान हुआ। कोरिया जिले के विधानसभा क्षेत्र क्रमांक-1 भरतपुर-सोनहत, गरियाबंद जिले के बिंद्रानवागढ़ में मतदाताओं ने बेखौफ होकर मतदान किया। बिंद्रानवागढ़ क्षेत्र में नक्सली हमले में एक जवान को नक्सली हमले में बलिदान होना पड़ा। बाकी अन्य क्षेत्रों में मतदान दलों की सकुशल वापसी की जानकारी मिली है।
कांटों में नहीं है सड़क की सुविधा
भरतपुर-सोनहत विधानसभा अंतर्गत कई मतदान केंद्र ऐसे हैं, जहां दो दर्जन भी मतदाता नहीं हैं। इनमें एक मतदान केंद्र में 12 तो दूसरे में सिर्फ 23 मतदाता हैं। कांटो में तो सिर्फ 12 मतदाता हैं। रेवला में 23 मतदाताओं में 14 पुरुष और नौ महिला मतदाता हैं। कांटो और रेवला ऐसे गांव है जहां सिर्फ ट्रैक्टर से ही पहुंच सकते हैं। दोनों ही जगह पहुंचने के लिए सड़क की सुविधा अब तक नहीं है। तीनों जगहों में 100 प्रतिशत मतदान की जानकारी मिली है।
नदी पार करके पहुंचा मतदान दल
बिंद्रानवागढ़ के नक्सल प्रभावित मतदान केंद्र में अधिकारी-कर्मचारियों को नदी पार करके सात-आठ किमी पैदल चलकर जाना पड़ा। दुर्गम पहाड़ियों के बीच आममोरा में 80 प्रतिशत व ओंढ़ में 79.33 प्रतिशत मतदान की जानकारी मिली है।