आज पूरे देश में रामनवमी का पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जा रहा है। छत्तीसगढ़ में भी लोगों में उत्साह देखने को मिल रहा है। यहां परंपरा के अनुसार मामा अपने भांजों को आज के दिन लाल मटका उपहार स्वरूप भेंट करते हैं।

चैत्र नवरात्रि से हिंदू नव वर्ष की शुरुआत होती है और रामनवमी से लेकर अक्ति (अक्षय तृतीया) के दिन तक छत्तीसगढ़ के ग्रामीण क्षेत्रों में एक अलग तरह की परंपरा देखने को मिलती है। जिसमें कहा जाता है इस दिन मामा अपने भांजे को नए लाल मटके उपहार में देते है। भांजे इन मटकों में पानी भर के उस पानी को पीते हैं, मानयता है कि इससे मामा को पुण्य की प्रप्ति होती है। 

छत्तीसगढ़ समेत पूरे देश में में हिन्दू नववर्ष की शुरुवात चैत्र नवरात्रि से हो जाती है। रामनवमी से लेकर अक्ति तक छत्तीसगढ़ के आदिवासी ग्रामीण इलाकों में परम्परा होती है की मामा अपने भांजे को रामनवमी से लेकर अक्ति के बीच में लाल मटके और साल के शुरुवात में लगे आम के फलों को उपहार स्वरूप देता है। मानयता है कि ऐसा करने पर मामा और उनका परिवार पुण्य का भागीदार बनता है। ऐसे में आज जिले की सड़को पर नजारा देखने को मिल रहा है जिसमें ग्रामीण मटकों का दान करने अपने भांजो के पास मोटरसाइकिल से या तो बस से जाते दिखाई दे रहे हैं।

 ग्रामीण क्षेत्र में कहावत और परम्परा है कि भांजे अपने मामा की ओर से दिये गए लाल मटके में पानी भरके पीते है और मामा के द्वारा दिये गए फलों को खा लेते हैं। जिसके बाद उन्हें बड़ा पुण्य मिलता है। जब भांजा मामा के दिये लाल मटके और साल का आम का पहला फल खा लेता है उसके बाद ही मामा लाल नए मटके का पानी पीते है और आम का फल खाते है। ग्रामीणों की माने तो ऐसा करने की परंपरा काफी पुरानी है और उन्हें जो उनके पूर्वजों ने बताया है उसी को ये आगे बढ़ाते चले आ रहे हैं, और पुण्य कमा रहे हैं।