नई दिल्ली । देश की आजादी के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में हर नागरिक अपने अंदाज में आजादी का अमृत महोत्सव मनाने को तत्पर दिख रहा है। तिरंगे को लेकर देशभक्ति की लहर है। पीएम मोदी की तरफ से सोशल मीडिया पर तिरंगे वाली डीपी लगाने की अपील भी की गई। कांग्रेस ने जवाहर लाल नेहरू की हाथों में झंडा थामे तस्वीर लगाई है। इसके साथ ही तिरंगे को लेकर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ पर भी निशाना साधा है। इसके बाद आपको तिरंगा झंडा को लेकर संघ और सरसंघचालक के सोच के बारे में खुद मोहन भागवत की जुबानी कही गई बातें बताते हैं।
भागवत ने बताया कि शाखा में भगवा झंडा लगता है, तिरंगे का क्या? तिरंगे झंडे के जन्म से उसके सम्मान के साथ संघ का स्वयंसेवक जुड़ाहै। उस समय तब चक्र नहीं था चरखा था। पहली बार फैजपुर के कांग्रेस अधिवेशन में उस ध्वज को फहराया गया। 80 फीट ऊंचा ध्वज स्तंभ लगाया गया था। पूर्व पीएम नेहरू जी उसके अध्यक्ष थे। बीच में वहां लटक गया और इतना ऊंचा जाकर किसी को उसे सुलझाने का साहस किसी में नहीं था। तभी के शख्स उस भीड़ में से दौड़ा। वहां फट से खंभे पर चढ़ा और रस्सियों की गुत्थी सुलझाकर फिर ध्वज को ऊपर कर नीचे आ गया।
संघ प्रमुख ने बताया कि लोगों ने उस शख्स को कंधे पर उठा लिया। फिर उसे नेहरू जी के पास ले जाया गया। नेहरू जी ने उसकी पीठ थपथपाई और कहा कि तुम शाम को अधिवेशन में आओ। तुम्हारा अभिनंदन किया जाएगा। लेकिन फिर कुछ नेता आए और कहे कि उस मत बुलाओ वो शाखा में जाता है। जलगावं के फैजपुर में रहने वाले किशन सिंह राजपूत स्वयंसेवक थे। डॉ. हेडगेवार को पता चला तब वहां प्रवास करके गए। डॉ. हेडगेवार ने उन्हें एक छोटा सा चांदी का लोटा पुरस्कार के रूप में अभिनंदन स्वरुप दिया। जब तिरंगा पहली बार फहराया गया तब से इसके सम्मान के साथ स्वयं सेवक जुड़ा है।