बेंगलुरु । कर्नाटक में चुनावों के दौरान किए गए वादे के मुताबिक गारंटियों की घोषणा के बाद कांग्रेस पार्टी लोकसभा चुनावों में अधिक से अधिक सीटें जीतने के लिए आत्मविश्वास से भरी हुई है। पार्टी ने राज्य भर में जबरदस्त सद्भावना हासिल की है। विधानसभा चुनाव में करारी हार झेलने के बाद विपक्षी भाजपा राज्य में अपनी पकड़ वापस पाने के लिए पुरजोर कोशिश कर रही है। दूसरी ओर, कांग्रेस आलाकमान राज्य की जनता को एक के बाद एक सकारात्मक संदेश देने में सफल हो रहा है। पार्टी के पुराने दिग्गज कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार के बीच मतभेद दूर करने में कामयाब रहे हैं। शिवकुमार और सिद्दारमैया कैबिनेट के गठन के बाद से एकजुट और केंद्रित दिख रहे हैं। कांग्रेस ने दलितों, ओबीसी और अल्पसंख्यकों को महत्वपूर्ण कैबिनेट पद आवंटित किए हैं और प्रमुख जातियों को उचित प्रतिनिधित्व भी सुनिश्चित किया है। राज्य के इतिहास में पहली बार किसी मुस्लिम विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव करके और दो कैबिनेट विभागों को आवंटित करके पार्टी ने यह सुनिश्चित किया है कि मुस्लिम वोट बैंक बरकरार रहे। गारंटी योजनाओं के कार्यान्वयन की तारीखों की घोषणा की राज्य की जनता ने सराहना की है, चाहे वे किसी भी पार्टी या विचारधारा से ताल्लुक रखते हों। उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार ने इसे ऐतिहासिक बताया है और कहा कि देश में पहली बार एक दिन में पांच बड़ी गारंटी लागू की गई।
मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने हाल ही में घोषणा की कि सभी पांच गारंटी इस वित्तीय वर्ष में लागू कर दी जाएंगी। मुफ्त बस यात्रा की योजना 11 जून से लागू हो जाएगी। जुलाई से 200 यूनिट तक मुफ्त बिजली दी जाएगी। परिवार की महिला मुखिया को अगस्त से दो हजार रुपए और बीपीएल कार्ड के सभी सदस्यों को एक जुलाई से 10 किलो चावल मुफ्त दिया जाएगा। कर्नाटक कांग्रेस सरकार द्वारा पांच गारंटियों को लागू करने की तारीख की घोषणा के बाद शिवकुमार ने चुनौती दी कि अब अपने वादों को निभाने की बारी केंद्र सरकार की है। जल्द ही केंद्र सरकार को लोकसभा चुनाव के रूप में अग्निपरीक्षा का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने कहा ‎कि परीक्षा पास करने के लिए उन्हें अपने वादे पूरे करने होंगे। गारंटी योजनाओं पर विपक्षी दलों, विशेषकर भाजपा द्वारा आलोचना, पर टिप्पणी करते हुए शिवकुमार ने कहा किया कि आलोचना की बजाय प्रधानमंत्री को विदेशों से काला धन लाने और वादे के अनुसार व्यक्तिगत बैंक खातों में 15 लाख रुपये जमा करवाने चाहिए। भाजपा को 2 करोड़ रोजगार सृजित करना चाहिए और किसानों की आय दोगुनी करनी चाहिए जिसका उन्होंने वादा किया था। दूसरी तरफ, भाजपा अब तक नेता प्रतिपक्ष का चुनाव नहीं कर सकी है और राज्य इकाई पार्टी कार्यकर्ताओं में दोबारा उत्साह का संचार करने में विफल रही है।
भाजपा ने पिछले लोकसभा चुनाव में राज्य में 28 में से 25 सीटों पर जीत हासिल की थी, जब पूर्व सीएम बी.एस. येदियुरप्पा शीर्ष पर थे और पार्टी का नेतृत्व कर रहे थे। बालाकोट की घटना और 2019 में पाकिस्तान के खिलाफ केंद्र सरकार की जवाबी कार्रवाई के बाद कांग्रेस ने मोदी लहर में केवल एक सीट जीती थी। एआईसीसी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे भी अपने घरेलू मैदान पर भाजपा उम्मीदवार उमेश जाधव के खिलाफ चुनाव हार गए थे। अब चूंकि कर्नाटक विधानसभा चुनाव में पीएम मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के संयुक्त प्रयास विफल हो गए हैं, इसलिए कांग्रेस स्पष्ट रूप से 20 से अधिक सीटें जीतने का लक्ष्य लेकर चल रही है। दलित और मुस्लिम वोट बैंक को बरकरार रखते हुए कांग्रेस को भरोसा है कि वह लिंगायत वोट बैंक को वापस पाने के लिए भाजपा को कोई विकल्प नहीं देगी। वोक्कालिगा समुदाय अब उपमुख्यमंत्री शिवकुमार के पीछे लामबंद हो गया है। पार्टी आईटी शहर बेंगलुरु के नगर निकाय चुनावों के लिए ब्रुहत बेंगलुरु महानगर पालिके (बीबीएमपी) के लिए चुनाव कराने की भी रणनीति बना रही है। जहां कांग्रेस हिंदुत्व के खिलाफ सावधान लेकिन आक्रामक रुख अपना रही है, वहीं आंतरिक कलह से बंटा भाजपा का खेमा सुस्त और कमजोर दिख रहा है।