नई दिल्ली। अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों के लिए अपने अभियान की रणनीति बनाने के लिए सत्तारूढ़ भाजपा एक निजी एजेंसी द्वारा यूपी के सभी 80 संसदीय क्षेत्रों का सर्वेक्षण करवा रही है। सूत्रों के अनुसार भाजपा का अंदरूनी सर्वेक्षण एक प्रक्रिया होगी, जिसमें एजेंसी हर 3 माह बाद पार्टी के राज्य और केंद्रीय नेतृत्व को अपनी रिपोर्ट देगी।
इसको लेकर बहुत ज्यादा जानकारी नहीं मिसी है। जानकारी के मुताबिक पार्टी का यह सर्वे 3 मुख्य पहलुओं पर होगा। 
 इसमें पहला है जमीन पर बीजेपी की स्थिति। दूसरा लोगों के बीच कौन का राजनीतिक मुद्दा हावी है और तीसरा हर लोकसभा सीट पर विपक्षी दलों की स्थिति। इसमें केंद्र और राज्य में भाजपा सरकारों के प्रदर्शन पर मतदाताओं की राय एकत्र करना, हमारे मौजूदा सांसदों का उनके संबंधित निर्वाचन क्षेत्रों में प्रदर्शन, हर निर्वाचन क्षेत्र में भाजपा के अन्य संभावित उम्मीदवारों और विपक्षी दलों की स्थिति भी शामिल होगी। 
भाजपा सूत्रों के मुताबिक केंद्र और राज्य सरकारों की नीतियों और कल्याणकारी कार्यक्रमों, स्थानीय प्रशासन की कार्यशैली, जनता से जुड़ाव और स्थानीय भाजपा सांसद की प्रतिष्ठा और उनका लोगों से जुड़ाव के बारे में स्थानीय मतदाताओं की राय जानकर किसी निर्वाचन क्षेत्र में भाजपा की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकेगा। पार्टी स्थानीय सामाजिक और जातीय समीकरणों के अनुसार अन्य संभावित उम्मीदवारों के नाम भी एकत्र करेगी। भाजपा सरकार बड़ी संख्या में कल्याणकारी योजनाएं चला रही है और यूपी में कई करोड़ लोग इन योजनाओं से लाभान्वित हुए हैं। 
इन योजनाओं पर प्रतिक्रिया के अलावा विपक्षी दलों द्वारा उठाए गए मुद्दों के प्रभाव का भी आकलन किया जाएगा। पार्टी को उम्मीद है कि जब एक भव्य समारोह में मंदिर भक्तों के लिए खोला जाएगा, तो लोगों का मूड भाजपा के पक्ष में होगा, जिससे सत्ता विरोधी लहर को कम किया जा सकेगा। सर्वेक्षण में राम मंदिर के संभावित प्रभाव और राज्य के अन्य मंदिरों के विकास का भी आकलन किया जाएगा। इसी तरह दुनिया में भारत की बढ़ती प्रतिष्ठा और सुशासन उपायों के प्रभाव का भी आकलन किया जाएगा। पार्टी में चुनाव प्रबंधन से जुड़े एक नेता ने कहा कि इस तरह का सर्वे चुनाव तक चलता रहेगा और सर्वे टीम हर तीन महीने के बाद हर लोकसभा सीट की रिपोर्ट देगी।