भोपाल । मध्यप्रदेश में इसी माह 15 दिन के लिए तबादलों से बैन हट जाएगा, इस दौरान 3 साल या उससे अधिक समय से जमे अफसरों और कर्मचारियों का पहले नंबर आएगा। प्रदेश में तबादला नीति तैयार हो गई है, जिसके तहत हर कैटेगिरी में 20 प्रतिशत से अधिक तबादले नहीं होंगे।
आपको बतादें कि मध्यप्रदेश में 5 माह बाद ही विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, ऐसे में अगर अभी तबादले नहीं हुए तो फिर अचार संहिता लगने के बाद तबादले होना भी मुश्किल हो जाएगा, इसी के चलते कैबिनेट की बैठक में भी तबादलों से बैन हटाने का मुद्दा सुर्खियों में रहा, जिसमें जून माह में ही 10 से 15 दिन के लिए तबादलों से बैन हटाने की मांग की गई थी, इस मांग को सरकार ने स्वीकार कर लिया है, अब जून माह में 15 दिन के लिए तबादलों से बैन हटेगा।
दरअसल जिले के अंदर प्रभारी मंत्रियों को तबादले का अधिकार होता है, ऐेस में कैबिनेट की बैठक में मंत्रियों ने सीएम से मांग की थी कि कम से कम 10 से 15 दिन के लिए जून माह में तबादले से बैन हटाया जाए, इस पर सीएम ने जल्द विचार करने का आश्वासन दिया था, अब तबादले पर लगे प्रतिबंध से 15 दिन के लिए बैन हटाने को हरी झंडी मिल गई है। इस मामले में सामान्य प्रशासन विभाग ने तबादला नीति 2023 का ड्राफ्ट तैयार कर रखा था, जिसे सीएमओ से स्वीकृति मिल गई है, लेकिन अच्छी बात यह है कि महज 15 दिन के लिए ही तबादलों से बैन हटा है, इसके बाद फिर तबादलों पर बैन लग जाएगा। इस कारण जिसे तबादला करवाना है, वह जल्दी ही करवा लें।
किसी भी कैटेगिरी में नहीं होंगे 20 प्रतिशत से अधिक तबादले
तबादला नीति के तहत किसी भी कैटेगिरी में 20 प्रतिशत से अधिक तबादले नहीं होंगे। इस कारण जो तबादले किए जाएंगे, उसमें भी बहुत सोच समझकर निर्णय लेना होगा, ताकि जिनका तबादला करना है वह भी हो जाए और तबादला नीति का भी पालन हो जाए।
स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा नई तबादला नीति पर काम करना शुरू कर दिया गया है।
- इस नीति के तहत नए नियुक्त शिक्षकों को ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में कम से कम तीन साल और अपने संपूर्ण सेवाकाल में करीब 10 साल काम करना होगा।
-10 वर्ष या इससे अधिक समय तक एक ही संस्था विशेषकर शहरी क्षेत्रों में पदस्थ शिक्षकों को ग्रामीण क्षेत्रों की शिक्षक विहीन और शिक्षकों की कमी वाले विद्यालयों में पदस्थ किया जाएगा।
-आवेदन ऑनलाइन लिए जाएंगे। उत्कृष्ट स्कूल, मॉडल स्कूल और सीएम राइज स्कूलों में स्वैच्छिक स्थानांतरण नहीं होंगे।
-प्राचार्य, सहायक संचालक या उससे वरिष्ठ पदों के स्वैच्छिक स्थानांतरण आवेदन ऑनलाइन लिए जाएंगे, लेकिन उनका निराकरण ऑफलाइन भी किया जा सकेगा।
-एक बार स्वैच्छिक स्थानांतरण होने के बाद विशेष परिस्थिति छोडकऱ 3 साल तक ट्रांसफर नहीं किया जा सकेगा। सुनिश्चित किया जाएगा कि कोई शाला शिक्षक विहीन न हो जाए। प्रथम श्रेणी अधिकारियों के स्थानांतरण समन्वय मुख्यमंत्री के अनुमोदन से किए जाएंगे।
-गंभीर बीमारी, विकलांगता से पीडि़त और जिन शिक्षकों की सेवानिवृत्ति तीन वर्ष शेष है, उन्हें इस प्रक्रिया से मुक्त रखा जाएगा।
-तबादले में वरीयता क्रम निर्धारित किया गया है। नई नीति के मुताबिक शिक्षकों को निर्वाचित जन प्रतिनिधियों की निजी पदस्थापना में पदस्थ नहीं किया जाएगा।